स्टोर कीपर जॉब डिस्क्रिप्शन क्या होता है?
स्टोर कीपर जॉब: अगर आप स्टोर कीपर के बारे में जानना चाहते हैं तो मैं बता दूं एक स्टोरकीपर का काम एक स्टोर या वेयरहाउस में होता है और स्टोर कीपर जो होता है स्टोर और वेयरहाउस का मालिक होता है चाहे वह किसी भी कंपनी में काम करता हो लेकिन जिसके अंदर में होता है वही उसका मालिक होता है यानी कि उस स्टोर की देख रेख और उसे सामान की देख रेख उस स्टोरकीपर को ही करना होता है।
एक स्टोर की पर हमेशा अपने काम को वक्त पर करता है और वक्त पर करने वाले स्टोरकीपर आगे तक जाते है और उन्हें ही सफलता मिलती है और स्टोरकीपर में भी वो काफी अच्छे पैसे कमा पाते है।
स्टोर कीपर मैट्रियल को कैसे रिसीव करता है
स्टोर कीपर जॉब में स्टोर कीपर को मैट्रियल रिसीव करने के लिए सबसे पहले कंपनी का पियो (PO) जो होता है उसे प्रिंट करना होता है और उसके आधार पर मटेरियल को चेक करना होता है, सप्लायर के तरफ से एक डिलीवरी नोट मिलता है जिसे पियो से मैच करना होता है उसके बाद से Physical Materials Check किया जाता है कि उससे मैटेरियल्स मैच हो रहा है कि नहीं यानी कि पियो में अगर मैटेरियल्स डिस्क्रिप्शन लिखा हुआ है तो सेम डिस्क्रिप्शन आपके मैट्रियल पर होना चाहिए, यानी कि उस पर मॉडल नंबर दिया होता है वह मॉडल नंबर सेम टू सेम मिलना चाहिए अगर उसमें कोई भी दिक्कत होती है तो फिर आपको आगे बात करनी होती है।
क्योंकि अगर कोई डिस्क्रिप्शन में कोई दिक्कत आती है तो उसे आप को फिर से रिवाइज कराना होता है रिवाइज कराने के लिए आपको पियो क्रिएटर से बात करना पड़ता है उसे ईमेल करना होता है कि ये मैटेरियल आया हुआ है लेकिन इसकी डिस्क्रिप्शंस से मैच नहीं हो रही है तो पियो को रिवाइज करें और इस हिसाब से बनाएं।
अगर मैटेरियल्स में कुछ दिक्कत होती है तो फिर Request किये इंजीनियर या प्रोजेक्ट मैनेजर से ईमेल से कन्फर्मेशन लेना पड़ता है और इस ईमेल को reference के लिए प्रिंट करके रख लिया जाता है।
अगर सबकुछ सही होता है तो वेयरहाउस या स्टोर का Stamp Delivery Note पर लगाकर आपको सप्लायर को एक कॉपी देना होता है दूसरा कॉपी आप अपने पास रखते हैं क्यूंकि Erp System पर इसे Closed करना पड़ता है।
इ आर पी सिस्टम पर मटेरियल को कैसे रिसीव करते हैं
स्टोर कीपर जॉब में इआरपी सिस्टम पर मैटेरियल्स को रिसीव करने के लिए सबसे पहले जो Step होता है वह होता है मैट्रियल रिसिविंग वाउचर का उसके लिए सबसे पहले आपको अराइवल (Arrival) बनाना होता है अराइवल का मतलब उसमें मैट्रियल रिसीविंग वाउचर बनाना होता है मटेरियल रिसिविंग बाउचर बनाने के बाद से प्रोडक्ट रिसीव बनाना होता है। जिसे हम इंग्लिश में MRV and PR बोलते है।
PRODUCT RECEIVE कैसे बनाते हैं
स्टोर कीपर जॉब में प्रोडक्ट रिसीव बनाने के लिए सबसे पहले आपको ERP System पर लॉगिन होना होता है जैसे आप मैट्रियल रिसिविंग बनाते हैं वैसे सेम टू सेम आपको प्रोडक्ट रिसीव भी बनाना पड़ता है जिसके लिए आपको वहां पर क्रिएट पर क्लिक करना होता है उसके बाद से उस पीओ को सर्च करना होता है जिस PO के Against में आपने मैट्रियल रिसीव किया हुआ है उसके बाद से जितनी भी मैटेरियल रिसीव हुई होती है उस मैट्रियल को वहां पर इंट्री की जाती है।
स्टोर कीपर जॉब में – अगर कंपनी के तरफ से 50 Request हुआ है और सप्लायर ने उसे 25 Pcs डिलीवर किया हुआ है तो उसमें आपको 25 Pcs स्प्लिट करना होता है इसे प्रिंट करके 25 पीस का आपको प्रोडक्ट रिसीव बनाना होता है बाकी का 25 पीस आपका बैलेंस रह जाता है जो कि सप्लायर जब डिलीवर करता है तो फिर वह 25 पीस का आपको बनाना होता है
PRODUCT RECEIVE बनाने के बाद से आगे क्या करना पड़ता है
स्टोर कीपर जॉब में प्रोडक्ट रिसीव बनाने के बाद से यह मटेरियल आपके सिस्टम पर On Hand दिखने लगता है यानी कि यह मैट्रियल आप जिस प्रोजेक्ट के लिए रिसीव करते हैं वह प्रोजेक्ट पर Show करने लगेगा और आपका जो Store होगा वह स्टोर दिखाएगा मैटेरियल रिसीव करने के बाद से आपको इंजीनियर और प्रोजेक्ट मैनेजर को बताना पड़ता है कि आपका मैट्रियल हमारे पास में यानी स्टोर में और वेयरहाउस में आ गया है आपको जब चाहिए आप हमें बताया आप अपनी Materials को ले जाएं।
Materials को प्रोजेक्ट पर कैसे ट्रांसफर करते हैं
स्टोर कीपर जॉब में Materials प्रोजेक्ट पर ट्रांसफर करने के लिए आपके पास में प्रोजेक्ट से ईमेल आता है ईमेल के साथ में कोई विड्रोल या ईमेल में लिखा रहता है कि उनको यह मटेरियल चाहिए ज्यादातर विड्रोल बनता है विड्रोल के आधार पर मैट्रियल साइट पर यानी प्रोजेक्ट पे डिलीवर किया जाता है।
P.O का मतलब क्या होता है
स्टोर कीपर जॉब में P.O का मतलब परचेज ऑर्डर होता है जोकि मैट्रियल को Request करने के लिए बनाया जाता है और यह पियो सप्लायर को दिया जाता है ताकि सप्लायर इस पीओ के आधार और हिसाब से मैट्रियल आपको डिलीवर कर सकें। इसके अलावा P.O में मैटेरियल्स की Price भी दी हुई होती है।
P.O बनाने का क्या प्रोसेस होता है
पीयू बनाने से पहले MR बनता है जिसे हम Materials Request कहते हैं यह एमआर एक्सएल में बनता है उसके बाद से प्रोजेक्ट मैनेजर का और साइट की इंजीनियर का इस पर Approval और Signature लिया जाता है उसके बाद से इसे इआरपी सिस्टम पर बनाया जाता है जिसे हम एमआर कहते हैं।
M.R का पूरा नाम क्या है
एम आर का पूरा नाम मैट्रियल रिक्वेस्ट (Material Request) है और जिसे एक्सल शीट पर बनाया जाता है मैट्रियल रिक्वेस्ट करने के लिए और मटेरियल मंगाने के लिए ताकि प्रोजेक्ट पर उसे यूज किया जा सके
eMR का क्या मतलब होता है
ई एम आर का मतलब इलेक्ट्रॉनिक मटेरियल रिक्वेस्ट (Electronic Material Request) होता है जिसे हम इआरपी सिस्टम पर बनाते हैं और इस ईएमआर को बनाने के बाद से Warehouse & Procurement Department को सबमिट किया जाता है जिसके बाद इसका पीआर बनता है पीआर बनाने के बाद से इसका आगे का प्रोसेस होता है
अगर मैट्रियल 3000 से नीचे होता है तो इसे Cash में मंगाया जाता है जिसके लिए कंपनी में परचेज डिपार्टमेंट होता है जोकि परचेज करके साइट या प्रोजेक्ट या स्टोर में मैट्रियल डिलीवर करते हैं
अगर मैट्रियल 3000 से ऊपर का होता है तो इसका पियो बनता है जिसे हम परचेज ऑर्डर कहते हैं पीयू बनाने के बाद से इसे प्राइस कंट्रोल में भेजा जाता है ताकि इसकी प्राइस की जांच की जा सके जो मैट्रियल रिक्वेस्ट हो रहा है उसकी प्राइस सही होनी चाहिए और सारे सप्लायर से चेक करने के बाद से प्राइस कंट्रोलर इसे ओके करके देते हैं सब कुछ होने के बाद से इस पीओ को सप्लायर को सबमिट करना पड़ता है
अब सप्लायर इस पीओ के हिसाब से मैट्रियल आपके स्टोर या आपके कंपनी के प्रोजेक्ट पर डिलीवर करता है जिसके लिए उसे कुछ डाउन पेमेंट देना होता है जैसे कि 40% से 50% या 70% तक आपको जो है उसको पेमेंट करना पड़ता है और बाकी का जो पेमेंट होता है वह मटेरियल को डिलीवर करने के बाद से कंपनी करती है।
इस तरह से मैट्रियल का प्रोसेस होता है यानी कि सबसे पहले जो होता है इसका एमआर बनता है फिर ई एमआर बनता है उसके बाद से इसका पीआर बनता है फिर उसके बाद से पियो बनता है पीओ बनने के बाद से सप्लायर को सबमिट किया जाता है
सप्लायर पीओ के हिसाब से मैट्रियल डिलीवर करता है जिसके लिए वह अपना डिलीवरी नोट बनाता है मैटेरियल्स के पीओ के हिसाब से और कंपनी के स्टोर और वेयरहाउस में यह मैट्रियल डिलीवर करता है
डिलीवरी होने के बाद से यह मटेरियल कंपनी के तरफ से उसको एक रिसिविंग मिलती है जो कि डिलीवरी नोट पर उसका Stamp लगा रहता है कंपनी का और जो Storekeeper होता है उसका सिग्नेचर वहां पर और Manager का सिग्नेचर होता है अब इस पेपर को ले जाकर यह अकाउंट डिपार्टमेंट या फिर अकाउंटेंट को ले जाकर सबमिट कर के पैसे लेते हैं।
स्टोर कीपर मैट्रियल को कैसे डिलीवर करता है
स्टोर कीपर जॉब में स्टोर कीपर मैट्रियल को प्रोजेक्ट और साइट पर डिलीवर करने के लिए मैट्रियल ट्रांसफर वाउचर (Materials Transfer Voucher) या मैटेरियल्स इसवेंस वाउचर (Materials Issuance Voucher) के द्वारा मैट्रियल को प्रोजेक्ट पर भेजता है।
मैट्रियल ट्रांसफर वाउचर कैसे बनता है
स्टोर कीपर जॉब में मैट्रियल ट्रांसफर वाउचर ईआरपी सिस्टम पर बनता है इसका नाम ERP में TRN (Transfer Order) होता है और मैट्रियल ट्रांसफर वाउचर या मैटेरियल्स इसवेंस वाउचर एक्सएल में बनाया जाता है उसके बाद से इसे ईआरपी सिस्टम में ट्रांसफर किया जाता है ताकि ऑनहैंड में यह जीरो दिखाई दे।
मटेरियल ऑनहैंड क्या होता है
स्टोर कीपर जॉब में मटेरियल ऑन हैंड का मतलब होता है कि यह मैट्रियल इस प्रोजेक्ट पर ऑन हैंड में Available है और इस मैट्रियल को आप डिलीवर कर सकते हैं लेकिन जब इसे आप इआरपी सिस्टम पर ट्रांसफर आर्डर बनाते हैं तो उसके बाद से यह शून्य हो जाता है उसके बाद से ऑनहैंड 0 दिखाई देता है और इससे पता चल जाता है कि यह मटेरियल अब Available नहीं है
कंपनी में स्टोर में कितने डिपार्टमेंट होते हैं
स्टोर कीपर जॉब में कंपनी में स्टोर में लगभग 3 डिपार्टमेंट होते हैं जिसमें सबसे पहले सिविल आ जाता है उसके बाद से इलेक्ट्रिकल उसके बाद मेकेनिकल आता है यह तीन डिपार्टमेंट में सबसे ज्यादा मैटेरियल होता है। स्टोर कीपर जॉब में आपको कम्पनी के सभी डिपार्टमेंट भी देखने पड़ते है अगर स्टोर कीपर कम होते है तो।
स्टोर कीपर जॉब में आपको कंप्यूटर से सम्बंधित भी काम करना पड़ता है जिसके बारे में बताया गया है और बहुत से वीडियो भी चैनल पे अपलोड किये गए है।
Storekeeper – Store Department Name
- Mechanical
- Civil
- Eletrical
स्टोर कीपर जॉब में सिविल डिपार्टमेंट में सबसे ज्यादा मैट्रियल जो होता है वह Paint, Cement, Grout, Primer Paint, ऐसे कई समान होते हैं अगर बात करें पेंट की
स्टोर में कितने टाइप के पेंट होते हैं
- एक्रेलिक पेंट
- इनेमल पेंट वॉल पेंट
- वाटर कलर पेंट
- मैटेलिक पेंट एक्सटीरियर पेंट
- बिट्यूमिनोस पेंट
- अल्मुनियम पेंट
- इमल्शन पेंट
- लेटेक्स पेंट
ऐसे बहुत टाइप्स के पेंट होते हैं जो कि स्टोर में स्टोरेज करके रखे जाते हैं जिसके लिए आपको जो है 30 डिग्री से नीचे टेंपरेचर रखना होता है जो टेंपरेचर दिया होता है पेंट के लिए उसके नीचे टेंपरेचर होना चाहिए अन्यथा यह खराब हो जाता है पेंट के लिए एक अलग से एरिया होना चाहिए जहां पर सिर्फ पेंट हो यानी केमिकल एरिया सेपरेट स्टोर में होना चाहिए।
यह तो सिर्फ पेंट के बारे में मैंने आपको बताया ऐसे बहुत सारे सिविल के मैटेरियल्स होते हैं जोकि सिविल डिपार्टमेंट में होते हैं जैसे कि नेल होता है नॉट होता है बोल्ट होता है थ्रेडिंग रॉड, सेलिंग मैटेरियल, डोर लॉक का सामान, हैंड टूल से समान, कटिंग डिस्क, सेंडिंग पेपर, पेंट ब्रश, कई समान सिविल स्टोर में होता है।
इलेक्ट्रिकल स्टोर में किस प्रकार की मैटेरियल्स होती है
स्टोर कीपर जॉब में इलेक्ट्रिकल स्टोर में बहुत प्रकार की मैटेरियल्स होती है जैसे की लाइट, वायर, केबल, केबल ड्रम, फायर फाइटिंग मैटेरियल्स, नर्स कॉल मैट्रियल, सभी प्रकार की इलेक्ट्रिकल स्विच, ब्रेकर, ट्रांसफार्मर, सेफ्टी स्विच, इलेक्ट्रिकल बॉक्स जिसे हम पूल बॉक्स भी बोलते हैं, स्क्वायर बॉक्स, ऑक्टेगनल बॉक्स, इ ऍम टी फिटिंग्स, वायरिंग फिटिंग, अर्थिंग मैटेरियल, केबल ग्लैंड, स्प्रिंग नट, सभी टाइप्स के वायर होते हैं, पेज कोडपैच कोर्ड, कैमरा, पैनल बोर्ड, पाइप स्पेसर, केबल लग, केबल मार्कर, पीवीसी फिटिंग ऐसे बहुत सामान जो होते हैं इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में होते हैं जिसके ऊपर मैंने पहले ही वीडियो चैनल पर अपलोड किया है।
मैकेनिकल स्टोर में किस प्रकार की मैटेरियल होती है
स्टोर कीपर जॉब में मैकेनिकल स्टोर में बहुत सी मैटेरियल्स होती है जिसमें सबसे ज्यादा Fitting’s आती है, Fitting’s का मतलब होता है पाइप से संबंधित सामान जैसे कि Elbow & Bend, Coupling, Coupling Reducer, Tee, Tee Reducer, Y-Branch, True Vent, End Cap, Eccentric Reducer, Ball Fittings, Vent, Swept Tee,
6 Types of Clamps Name
- Mechanical – Pipe Camps
- Mechanical – C-Clamp
- Mechanical – G-Clamps
- Mechanical – Diamond Clamps
- Mechanical – Rubber Clamps
- Mechanical – Hose Clamps
11 Types of Fittings Name
- Orange Fittings
- Grey Fittings
- White Fittings
- BMI/BIS Fittings
- CS Fittings (Carbon Steel)
- GMI Fittings (Butt Welding Fittings)
- PPR Fittings
- Copper Fittings
- Fire Fighting Fittings
- HDPE Fittings
- Brass Type Fittings
12 Types of Gate Valve Name
- Cast Iron Gate Valve
- Globe Valve
- Y-Globe Valve
- Ball Valve
- Plug Valve
- Diaphragm Valve
- Reducing Valve
- Pinch Valve
- Butterfly Valve
- Swing Check Valve
- Lift Check Valve
- Safety Valve
FAQs.
स्टोर कीपर जॉब का इंटरव्यू कैसे होता है?
स्टोरकीपर का इंटरव्यू इंग्लिश में होता है जो की कम्प्यूटर और स्टोर के मैटेरियल्स से सम्बन्धी Question और Interview होता है।
हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी क्या है?
हमारी सबसे बढ़ी जिम्मेदारी है हमारे परिवार के बारे में सोचना की उनको कैसे खुस रखे, अपने भविष्य में सफल होने के लिए कुछ अच्छा करना यह भी हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। अच्छा पैसा कमा कर अपने परिवार के सदस्य को अच्छा शिक्षा देना एक जिम्मेदारी है। लोगो में अपना अच्छा वेवहार बनाना एक अच्छी जिम्मेदारी है। अगर आप मदद करने के काबिल है तो दुसरो की मदद करना चाहिए। जिम्मेदार व्यक्ति अपने जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं भागता है।
जिम्मेदारी को क्या बोलते हैं?
जिम्मेदारी को सफल बोलते है क्यूंकि एक जिम्मेदारी उठाने वाला ही सफलता पता है और यही सुच है।
जिम्मेदारी का एक अच्छा उदाहरण क्या है?
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है सफलता – एग्जाम से पहले एग्जामिनेशन सेण्टर पे पहुंचना एक जिम्मेदारी है। सुबह उठ कर सबसे पहले अपने दांतो की सफाई करना एक जिम्मेदारी है।
गैर जिम्मेदारी क्या है?
गैर जिम्मेदारी यानि आलसपन होता है। अपने कर्तब्य को वक़्त पे पूरा न करना एक गैर जिम्मेदार का काम है।
Conclusion:
स्टोरकीपर का जॉब एक बहुत ही अच्छा जॉब है जिसमे काम समय में आप बहुत अच्छा पैसा कमा सकते है। स्टोरकीपर के जॉब करने के बाद आप घर पे रह कर खुद का भी काम सुरु कर सकते है। स्टोरकीपर का जॉब पाने के लिए 12th के साथ कम्प्यूटर कोर्स होना जरुरी है। स्टोरकीपर एक प्रोफेशनल जॉब है।